लॉक डाउन के बीच तिरंगा अगरबत्ती फैक्ट्री का संचालन हुआ शुरू, करीब 90 मजदूरों की जिंदगी पर मंडरा रहा खतरा


 


 


उल्लंघन करते हुए अगरबत्ती बनाने का कारखाना जोरों-शोरों पर चल रहा है। तिरंगा अगरबत्ती के नाम से चल रही इस फैक्ट्री में एकाएक मंगलवार से करीब 90 मजदूरों को जबरन बुलाया गया और सोशल डिस्टेंसिंग समेत लॉक डाउन की नियमावली को ताक पर रखकर यहां पर अगरबत्ती बनाने का काम शुरू हो गया, जिसका वीडियो भी हमारे पास मौजूद है। नाम न छापने की शर्त पर एक मजदूर ने जानकारी दी कि सोमवार की रात को हमारे पास फोन आया और मंगलवार, 31 मार्च से सुबह 9 से शाम 5 बजे तक फैक्ट्री में आकर काम करने का दबाव बनाया गया और मना करने पर एक माह का वेतन काटने और नौकरी से निकालने तक की धमकी दी गई। जिसके बाद मजबूरन इन कर्मचारियों को अपनी जान जोखिम में डालते हुए पिछले 2 दिन से फैक्ट्री में काम करवाया जा रहा है। हाल ही में आवश्यक वस्तु अधिनियम में मास्क और सैनिटाइजर को 30 जून तक के लिए शामिल किया गया है और राज्य सरकारों और जिला प्रशासन द्वारा रोजमर्रा से संबंधित खाद्य सामग्रियों की फैक्ट्रियों को सुचारू रूप से चलाने की अनुमति भी दी गई है। इतना ही नहीं दादा नगर स्थित एक फैक्ट्री में ब्रेड की पैकिंग से संबंधित पॉलिथीन बैग बनाने को लेकर भी अनुमति प्रदान की गई थी। लेकिन ऐसे में एक बड़ा सवाल उठना लाजमी है कि क्या अगरबत्ती भी खाद्य सामग्री में शामिल है? वह भी तब जब खाद्य सामग्री के तहत आने वाले शहर के प्रतिष्ठित नमकीन और बिस्कुट की फैक्ट्रियां बंद पड़ी हुई है। तब ऐसे में एक अगरबत्ती बनाने की फैक्ट्री का खुलना और उस पर जिला प्रशासन द्वारा खुलेआम तरीके से इस फैक्ट्री को चलाने की स्वीकृति प्रदान करने की बात करना कहीं न कहीं एक बड़ी चूक की ओर इशारा कर रहा है...... और इन सब में पिस रहे हैं वे कर्मचारी और वे मजदूर, जो अपने वेतन कटने से लेकर नौकरी जाने के डर से हर क्षण, हर पल अपनी जान को जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं.....  कानपुर। देश में कोरोना वायरस के दस्तक देते ही उससे फैलने वाले संक्रमण पर काबू पाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश को 21 दिनों के लिए लॉक डाउन करने का फैसला लिया गया था। इस लॉक डाउन का सीधा सा उद्देश्य कोरोना वायरस से फैल रहे संक्रमण की इस मानव श्रृंखला को तोड़ने का था। जिसका अनुपालन कराने की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों और जिला प्रशासन की थी, जिनमें वो हर कदम पर लेकर सख्त दिखाई पड़ रही हैं, लेकिन कुछ जगहों पर आकर यह सारी सख्ती कुछ सुस्त सी पड़ जाती है। ऐसा ही एक मामला आया है कानपुर नगर के थाना रेल बाजार क्षेत्र का, जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 21 दिनों के लॉक डाउन का स्पष्ट